तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था, दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे “कहने को तो सब अपने हैं, पर सच में कोई साथ नहीं।” Urdu language is full of a great number of emotions https://youtu.be/Lug0ffByUck